तुम सुख में नहीं
तुम दुःख में नहीं
तुम दिल भी नहीं
तुम धड़कन भी नहीं
तो बताओ मुझे तुम
दिन रात मेरे
ख्यालों में क्यों ???
मै इन ख्यालों से दूर
तेरी शख्सियत से
बहुत दूर जाना चाहती हूँ
तेरी रूह से अलग
अपने हिस्से की जमीं
ढूँढना चाहती हूँ ....
ये कमबख्त दिल
सोते जागते
तेरे नाम की
माला जपा करता है
पता नहीं क्यों
तेरी ही बातों से
मायूस होता है
फिर मासूम सा बन
तेरी ही याद में
हर रोज़ पलके
भिगोया करता है.....
तुम दिन रात मेरे
ख्यालों में क्यों ???
तेरे साथ बिताये
वो सुनहरे पल
अब कभी नहीं आयेंगे
पर न चाहते हुए भी
तेरी याद से सराबोर
"मैं "
तेरी ही याद में
अतीत के आँगन से
कुछ फूल चुन
अपनी छोटी सी
बगिया में सजाती हूँ ।।
और उन यादो से
न जाने कैसे
तुम मेरी दुआ में
सुख में, दुःख में
दिल में, आत्मा में
उतर जाती हो ।।
तुम दिन रात मेरे
ख्यालों में रहती हो।
~ बोधमिता
छोटी