दिल की बात, धीरे से कहती हूँ, हौले से सुनना मैं शब्द हूँ ,मुझको भावों में, पिरो कर सुनना ।।
मै सृजन करती
रचनात्मकता का स्वाद लेती
अधरों पर मधुरता रखती
हँसती खिलती स्रष्टि से
कांटे फूल अलग करती
लहू-लुहान होती हूँ
फिर भी
मुस्कान मेरी रहती
क्यूंकि मै हूँ सृजन कर्ता
मै हूँ "माँ"