तेरे बारे में जो लिखती
बन जाती है एक कविता
तू मेरे आदर्शों में स्थापित
क्यूँ बैठी है रूठ के मुझसे
तेरे बिना ये जीवन सूना
सूनी हर एक राह डगर की
छोड़ न तू साँसों की डोरी .....
या हिम्मत दे दे मुझको इतनी
की जी लूँ मैं ये जीवन ऐसे
जिसमे हो प्रतिबिम्ब तुम्हारा
देखकर मुझको लोग ये बोले
देखो आयी 'उषा' की बेटी ।।
~बोधमिता
क्या माँ के बिना जीवन चल पता है???
mamma i miss u....