दिल की बातें
दिल की बात, धीरे से कहती हूँ, हौले से सुनना मैं शब्द हूँ ,मुझको भावों में, पिरो कर सुनना ।।
बुधवार, 23 जनवरी 2013
छुट्टी
अनुशासन भंग कर
मन को कल्पना लोक के
उस जगत तक पहुचाना
जहाँ अंकुश ना हो
जहाँ हो हल्ला
रेलम-पेल
भागम - भाग
धमा - चौकड़ी
और हो बन्धनों से
निकल छूटने की
आजादी
आनंद ही आनंद!
यही तो होता है
छुट्टी का अर्थ
है ना ।।
शनिवार, 19 जनवरी 2013
विडम्बना
नियति चक्र न रुका कहीं
विडम्बना ही सही
चलती रही जीवन की गति
कुछ टूटी सी कुछ फूटी सी
कुछ उनके संस्कारों सी
कुछ उनकी पहचानी सी
चल ही रही है
बिन जीवनदाता के..........
अधकचरी सी जीवनी
माँ पापा....
अनंत की यात्रा पर
कर लेना तुम हमको याद
देना आशीष हमे वहीँ से
जिससे ये जीवन हो जाये
"निष्पाप"।।
~बोधमिता
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