बुधवार, 23 जनवरी 2013

छुट्टी

अनुशासन भंग कर
मन को कल्पना लोक के
उस जगत तक पहुचाना
जहाँ अंकुश ना हो
जहाँ हो हल्ला
रेलम-पेल
भागम - भाग
धमा - चौकड़ी
और हो  बन्धनों से
निकल छूटने की
आजादी
आनंद ही आनंद!
यही तो होता है
छुट्टी का अर्थ
है ना ।। 

4 टिप्‍पणियां:

  1. मस्ती का नाम है छुट्टी,छुट्टी का नाम है मस्ती

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  2. वाकई ! आपने बचपन की यादें ताज़ा कर दीं !

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  3. धन्यवाद साधना वैद जी, अंजू जी, रश्मि प्रभा दीदी
    मेरा सौभाग्य है की आप सभी मेरी रचनाएँ पढ़तीं हैं।

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