नियति चक्र न रुका कहीं
विडम्बना ही सही
चलती रही जीवन की गति
कुछ टूटी सी कुछ फूटी सी
कुछ उनके संस्कारों सी
कुछ उनकी पहचानी सी
चल ही रही है
बिन जीवनदाता के..........
अधकचरी सी जीवनी
माँ पापा....
अनंत की यात्रा पर
कर लेना तुम हमको याद
देना आशीष हमे वहीँ से
जिससे ये जीवन हो जाये
"निष्पाप"।।
~बोधमिता
गहरे भाव,गहरे संस्कारों के निशाँ
जवाब देंहटाएंaap ka badappan hai rasmi prabha di...
जवाब देंहटाएंजीवन चलने का नाम ....
जवाब देंहटाएंbulkul sahi kaha Archna ji.... gati hi jindagi hai.
हटाएंthanks...
बहुत 'निष्पाप ' सी अभिव्यक्ति और अंतस तक पहुँचते भाव ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंthanks Sadhna Vaid jee..
हटाएंसुंदर प्रार्थना
जवाब देंहटाएंdhanyavaad Sangeeta swarop ji...
हटाएं