तेरे बारे में जो लिखती
बन जाती है एक कविता
तू मेरे आदर्शों में स्थापित
क्यूँ बैठी है रूठ के मुझसे
तेरे बिना ये जीवन सूना
सूनी हर एक राह डगर की
छोड़ न तू साँसों की डोरी .....
या हिम्मत दे दे मुझको इतनी
की जी लूँ मैं ये जीवन ऐसे
जिसमे हो प्रतिबिम्ब तुम्हारा
देखकर मुझको लोग ये बोले
देखो आयी 'उषा' की बेटी ।।
~बोधमिता
क्या माँ के बिना जीवन चल पता है???
mamma i miss u....
usha ki beti:)... meri bahna:) aise hi likhte rahna...:)
जवाब देंहटाएं:) dhanyavaad da... bas aap hamesha sath rahna...
हटाएंक्या माँ के बिना जीवन चल पता है??? बहुत बढ़िया ..!
हटाएंdhanyawad bhawesh!
हटाएंजब माँ से ही जीवन मिला है तो उसके बिना कैसे चल पायेगा...:)
जवाब देंहटाएंनियति चक्र न रुका कहीं
हटाएंविडम्बना ही सही
चलती रही जीवन की गति
कुछ टूटी सी कुछ फूटी सी
कुछ उसके संस्कारों सी
कुछ उसकी पहचानी सी
चल ही रही है मेरी
अधकचरी सी जीवनी
बिन जीवनदायिनी के ,
माँ अनंत की यात्रा पर
कर लेना तुम मुझको याद
देना वहीँ से आशीष मुझे
जिससे ये जीवन हो जाये
"निष्पाप"।।
~बोधमिता
Pallavi ji jeevan maa ke bina bhi jeena padta hai. tippadi ke liye dhanyawad.
http://www.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_6786.html
जवाब देंहटाएंdhanyavaad Rashmi Prabha di...
हटाएंदेखकर मुझको लोग ये बोले
जवाब देंहटाएंदेखो आयी 'उषा' की बेटी ।।
भावमयी प्रस्तुति
dhanyavaad Vandana ji
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