गुरुवार, 29 नवंबर 2012

adhurapan

तेरे बारे में जो लिखती

बन जाती है एक कविता 

तू मेरे आदर्शों में स्थापित 

क्यूँ बैठी है रूठ के मुझसे 

तेरे बिना ये जीवन सूना 

सूनी हर एक राह डगर की 

छोड़ न तू साँसों की डोरी .....

या हिम्मत दे दे मुझको इतनी 

की जी लूँ मैं  ये जीवन ऐसे 

जिसमे हो प्रतिबिम्ब तुम्हारा 

देखकर मुझको लोग ये बोले 

देखो आयी  'उषा' की बेटी ।। 

                         ~बोधमिता 

क्या माँ के बिना जीवन चल पता है??? 

mamma i miss u....

10 टिप्‍पणियां:

  1. जब माँ से ही जीवन मिला है तो उसके बिना कैसे चल पायेगा...:)

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    1. नियति चक्र न रुका कहीं
      विडम्बना ही सही
      चलती रही जीवन की गति
      कुछ टूटी सी कुछ फूटी सी
      कुछ उसके संस्कारों सी
      कुछ उसकी पहचानी सी
      चल ही रही है मेरी
      अधकचरी सी जीवनी
      बिन जीवनदायिनी के ,
      माँ अनंत की यात्रा पर
      कर लेना तुम मुझको याद
      देना वहीँ से आशीष मुझे
      जिससे ये जीवन हो जाये
      "निष्पाप"।।
      ~बोधमिता
      Pallavi ji jeevan maa ke bina bhi jeena padta hai. tippadi ke liye dhanyawad.

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  2. देखकर मुझको लोग ये बोले

    देखो आयी 'उषा' की बेटी ।।

    भावमयी प्रस्तुति

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