बेबसी
आज अचानक
सड़क के मोड़ पर
वो मिला मुझे
जो कभी मेरा
बड़ा ही प्यारा
मित्र हुआ करता था
समय के साथ
हम-दोनों बड़े होते गए
और रम गए
अपनी - अपनी
हसीन दुनिया में
मिलते ही उसने
बड़े ही अपनत्व से
बड़े ही दुलार से
बड़े ही आनंद से
मुझ से पूछा -
कहो क्या हाल हैं ?
मैंने कहा भाई,
बचपन से आज तक
जो मुस्कान मेरे
होठों से चिपकी है
गयी नहीं अब तक
मैं जैसी तब थी मस्त,
बेबाक और खुशमिजाज़
आज भी हूँ तुम कहो
तुम्हारे क्या हाल हैं
तुम्हारे सर के
उड़े हुए क्यूँ बाल हैं
वो हुआ बड़ा हताश
और निराश फिर ली
एक लम्बी सांस और
बोला -मुझ पर तो
बड़ा ही भार है,
बड़ा सा घर आँगन
और परिवार है
न जाने ये मुस्कान
मेरी कब से गायब है
एक अदद बीवी
और दो बच्चों के साथ
महंगाई की पड़ी मार है
यूँ तो मैं भी हँसना
मुस्कराना चाहता हूँ
पर पता नहीं कब
और कैसे घर का सदस्य
न होकर कैशिअर
ही बन जाता हूँ
हर वक़्त झल्लाहट
लिए घर से निकलता हूँ
अपनी बेबाकी पर
खुद ही पछताता हूँ
न जाने कब किस बात पर
हर कोई मुझे रुला जाता है
अब मैं सदमों से त्रस्त
बेबस बेचारा इंसान
नज़र आता हूँ
अब मैं सदमों से त्रस्त
बेबस बेचारा इन्सान नज़र आता हूँ ।
~बोधमिता
Suprb Aunty :) very nice and true lines
जवाब देंहटाएंthanks bhupesh .. :)
हटाएंहिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ....!!
जवाब देंहटाएंdhanyawad sanjay bhaskar ji...
हटाएंअपनी बेबाकी पर
जवाब देंहटाएंखुद ही पछताता हूँ
न जाने कब
किस बात पर
हर कोई मुझे रुला जाता है
अब मैं सदमों से त्रस्त
बेबस बेचारा इंसान
नज़र आता हूँ
अब मैं सदमों से त्रस्त बेबस बेचारा इन्सान नज़र आता हूँ । touchy one
thanks neelima ji
हटाएंnice
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