मेरी बस आते ही, सखियों संग,
चहक कर, उसका चढ़ जाना
फिर हौले से गुड-मॉर्निंग करना
और किसी बात में खो जाना
बातों ही बातों में मुझ पर
तिरछी नज़रों के बाण चलाना
हाय !!! बड़ा अच्छा लगता था
सहकर्मी थे हम
होता जब भी आमना - सामना
नज़रों से नज़रे टकराती तब
हौले से उसका मुसकाना
मुस्का कर नजरे नीची करना
और कहीं व्यस्त सा-हो जाना
फिर चोरी चुपके से पीछे मुड़ना
हाय !!! बड़ा अच्छा लगता था
पर न जाने क्या सूझी मुझको
मैं पा जाऊं अब बस उसको
लगने लगा था मुझको ऐसा
चाहती है वो भी मुझको वर जैसा
आज कहूँगा दिल का राज
ले न जाये उसे कोई बाज
अपने इष्ट को खूब मनाया
पर हाय !!! ईश्वर सुन न पाया
उसने तोड़े मेरे सारे सपने
वह ले आई एक छुईमुई
गुडिया संग अपने
नन्ही सी प्यारी सुन्दर गुडिया
देखो चंचल-चंचल मेरी गुडिया
पाया परिचय बदरंग हुआ मै
हाय !!!
अब उसका छोटा सा बचपन
बड़ा अच्छा लगता है
उससे अब हाय - हलो
का रिश्ता ही
बस! अच्छा लगता है ॥
~ बोधमिता
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंdhanyawad Anju ji... :)
हटाएं:).........holi ki shubhkamnayen..
जवाब देंहटाएंthanks dada :)
हटाएंनिश्चल और सच्चे मनोउद्गार
जवाब देंहटाएंनिश्चल और सच्चे मनोउद्गार
जवाब देंहटाएंdhanyawad rakesh ji
हटाएंbahoot khoob
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