मंगलवार, 25 सितंबर 2012

vyakulta


एक आवरण में समा जाने के लिए, 

 मै व्याकुल हूँ 'तुझे' पा जाने के लिए | 

दीयों में रौशनी सदैव झिलमिलाने के लिए 

 मै व्याकुल हूँ 'बाती' बन जाने के लिए | 

कुछ कदम उठते हैं डगमगाने के लिए, 

मै व्याकुल हूँ उन्हें 'थाम' लेने के लिए | 

मुख में वाणी मिठास बिखेरने के लिए, 

मै व्याकुल हूँ 'जिह्वा' बन जाने के लिए | 

पौधों में पुष्प खिलखिलाने के लिए, 

मै व्याकुल हूँ 'तितली' बन जाने के लिए | 

सागर में नदियाँ मिल जाने के लिए  

मै व्याकुल हूँ 'धरा' बन जाने के लिए | 

                                      ~बोधमिता                                    

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