सोमवार, 24 सितंबर 2012

priytam

कभी अच्छी तो कभी
बहुत  बुरी जिंदगी
गुजार रही हूँ मैं
तुम्हारे    बिना ।
कभी छोटी सी
बात गुदगुदाती है
कभी सुई मात्र
  गिरने    से
काँप जाती हूँ मैं
तुम्हारे    बिना ।
कोयल का गाना
बहुत प्यारा है यहाँ
पर जब हवा मुझे
छू कर गुजरती है
तब विष बुझे बाण
सी लगाती है मुझे
तुम्हारे     बिना ।
सूरज का बाल रूप
बहुत मनमोहक
और लुभावना है
फिर भी मन कोई
गीत गाता नहीं
तुम्हारे    बिना ।
                 ~बोधमिता .




     

2 टिप्‍पणियां:

  1. कभी अच्छी तो कभी
    बहुत बुरी जिंदगी
    गुजार रही हूँ मैं
    तुम्हारे बिना ।
    कभी छोटी सी
    बात गुदगुदाती है
    कभी सुई मात्र
    गिरने से
    काँप जाती हूँ मैं.....mano mere dil ki bat

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  2. dhanyawad neelima ji... meri kavita apko aapke dil ke kareeb lage aisa hi chahti hun main :)

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