शनिवार, 6 जून 2020

प्यार


प्यार करने वालों के दिल 

कांच से क्यूँ होते हैं?

कभी सोचती हूँ दुनिया

बड़ी सुन्दर सजीली है

इसे सुन्दर बनाते हैं वो लोग 

जिनके दिल की धड़कने

धड़कती  है किसी और के लिए,

पर जहाँ ये धड़कने होती हैं 

वो जगह बड़ी नाजुक सी होती है.

कभी सोचती हूँ आज के दौर में

प्यार करता है कौन?

जिनके दिल और दिमाग

 परिपक्व होते हैं वो या

अपरिपक्व युवाओं के बीच ही

यह रिश्ता पनपता है और 

दफ़न हो जाता है किसी गहरे गड्डे में 

कहीं भी जाओ,किसी सड़क से गुजरो,

रेस्तरां में जाओ, बाग़ बगीचों में जाओ,

यहाँ तक की ऑनलाइन भी, हर तरफ से 

आवाज आती है चटाक की ,

कांच ही तो है, चट से टूट जाता है

कभी न जुड़ने के लिए.

और जो कांच की चुभन होती है

वो बिखर जाती है सब तरफ, चारो ओर

जिनसे आह के सिवा

 कुछ सुनाई ही नहीं देता.

कभी सोचती हूँ क्या 

प्यार बुखार है छोटी कच्ची उम्र का?

या बदला है किसी टूटे हुए दिल का?

समझ नहीं आता , जाने कितने

लैला मजनू हुए , शीरी फरहाद  हुए

फिर भी दुनिया में लोग आज भी 

प्यार तो करते हैं, और करते रहेंगे.

दिल भी टूटेंगे, मुस्कुराहटें  भी होंगी.

और ये दुनिया .......

ये दुनिया तो सुन्दर है, साहेब....

सुन्दर ही रहेगी

चाहे प्यार कांच से हो या पत्थर से !

                                           ~ बोधमिता 

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