उफ़ ये कैसा युवा वर्ग है
जिम में जाता जिमनास्ट नहीं है
खेलता कूदता सब की- बोर्ड पर
ना 'तन' स्वस्थ ना 'मन' स्वस्थ है
उफ़ ये कैसा युवा वर्ग है !
दुनिया इनकी बहुत बड़ी है
घर पर ही सब पा जाने की ख्वाहिश
पैसों की ताकत को जाने फिर भी
मुट्ठी कभी भी बंद नहीं है
उफ़ ये कैसा युवा वर्ग है !
इन्टरनेट को अपना माने
रिश्ते-नाते कर दिए किनारे
इनको भूख भी नेट की लगती
मैसेज ना पायें एक दिन भी
हो जाते ये बड़े बिचारे
उफ़ ये कैसा युवा वर्ग है !
मौसम कब दीवाना लगता
ये तो इनको होश नहीं है
घूमते बेसब्रों बेगानों जैसे
सोचे हम हैं बड़े सयाने
उफ़ ये कैसा युवा वर्ग है !
~ बोधमिता
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